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प्यार की छत


गर सच कहू तो झूठ  से नफरत नहीं रही
सच बोलने की आजकल हिम्मत नहीं रही...

अब तो कभी कभार ही होता है दिल उदास
पहले सी इंतज़ार में शिद्दत  नहीं रही...

लगता है तेज धुप में जलना है उम्र भर 
सर पर किसी के प्यार की छत नहीं रही ...

अब सर कहा झुकायेंगे पत्थर के आदमी 
शीशे के पुरे शहर में मूरत नहीं रही...

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"In Arithmetic of Love one plus one equals everything and two minus one equals nothing"

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